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लहसुन के कीट रोगों से बचाए

लहसुन के कीट रोगों से बचाए

लहसुन में चुनिंदा कीट एवं रोग लगते हैं लेकिन इनका समय से नियंत्रण बेहद आवश्यक है। कम पत्तों वाली फसल होने के कारण इस पर रोग प्रभाव का गहरा असर होता है।

थ्रिप्स -



लहसुन एवं प्याज में लगने वाला मुख्य कीट है। यह छोटे और पीले रंग का होता है। इसके द्वारा पत्तियों का रस चूस लिया जाता है। इससे पौधे का विकास रुक जाता है। नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोपड 5 एमएल प्रति 15 लीटर पानी या थायेमेथाक्झाम 125 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करेें।

शीर्ष छेदक कीट -

इस कीट की लार्वी पत्तियों को खाते हुये शल्क कंद के अंदर प्रवेश कर सड़न पैदा करती है। नियंत्रण हेतु फोरेट 1 से 1.5 किलोग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालें। बैंगनी धब्बा रोग का प्रकोप फरवरी एवं अप्रेल में होता है। इससे पप्ते बदरंग हो जाते हैं।



मेन्कोजेब+कार्बेंडिज़म 2.5 ग्राम दवा के मिश्रण से प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार कर बुआई करें। मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या कार्बेंडिज़म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिडकाव करें।



झुलसा रोग  में नाम के अनुरूप पौधे झुलसे जैसे हो जाते हैं। बचाव हेतु मैकोजेब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या कार्बेंडिज़म 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिडकाव करें। लहसुन के खेत में खड़ी फसल के आधे पौधों की गर्दन लुढ़क जाए तो  समझ लें कि फसल तैयार हो चुकी है। जिस समय पौधौं की पत्तियां पीली पड़ जायें और सूखने लगें तो सिंचाई बन्द दें । इसके बाद गाँठो को 3-4 दिनों तक छाया में सुखा लें। फिर 2 से 2.25 से.मी. छोड़कर पत्तियों को कन्दों से अलग कर लेते हैं ।

भण्डारण



अच्छी प्रक्रिया से सुखाये गये लहसनु को उनकी छटाई कर के साधारण हवादार स्थान पर रखें।छह माह में 20 फीसदी तक नमी सूखती है। पत्तियों सहित बण्डल बनाकर रखने से कम हानि होती है।

मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

मध्य प्रदेश के किसान लहसुन के गिरते दामों से परेशान, सरकार से लगाई गुहार

इस साल मध्य प्रदेश के साथ कई अन्य राज्यों में लहसुन की अच्छी फसल हुई है। लेकिन लहसुन के अच्छे भाव न मिलने के कारण मध्य प्रदेश के किसान बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन बेहद सस्ते दामों में बिक रहा है जिससे किसान बेहद परेशान है, क्योंकि यदि लहसुन मिट्टी के मोल बिका तो किसानों की लागत भी नहीं निकल पाएगी। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=F5rx-hgX2eo&t=1s[/embed] किसानों को इस साल लहसुन की खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें किसान लहसुन का सही भाव न मिलने के कारण या तो जानवरों को खिला रहे हैं या नदी में फेंक रहे हैं। लहसुन के लगातार गिरते भावों के कारण बहुत सारे किसान अपनी फसल को मंडी में ही फेंककर घर जा रहे हैं।

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लहसुन के गिरते भावों से परेशान आज इंदौर के किसान, इंदौर के सांसद के घर पर पहुंचे। यहां पर उन्होंने फसल के गिरते हुए भावों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किया गया। इस दौरान किसानों ने सांसद को ज्ञापन सौंपा जिसमें किसानों को उनकी फसलों का उचित भाव दिलाने का आग्रह किया गया। साथ ही किसानों ने सांसद से भावांतर की बकाया राशि के भुगतान की मांग भी की। इस दौरान सांसद ने किसानों से कहा कि वो इन सभी समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा करेंगे। प्रदर्शन के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक श्री रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि हम सिर्फ किसानों का दर्द माननीय सांसद महोदय से बताने आये हैं। क्योंकि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा जिससे किसान तनाव में हैं। किसानों को अगर इस खेती में घाटा लगा तो उन्हें अगली बुवाई करने के लिए परेशानियों का सामना करना पडेगा।

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इस दौरान किसानों ने इंदौर में गणेश शंकर विद्यार्थी प्रतिमा से ओल्ड पलासिया तक जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। यह जुलुस सासंद के कार्यालय के सामने समाप्त हुआ। भवांतर राशि के भुगतान में हो रही देरी को लेकर सांसद ने कहा कि इसकी जानकारी मुझे अभी ही मिली है, अगर इसमें कोई गड़बड़ी हो रही है तो इसका निराकरण शीघ्र ही किया जाएगा। लहसुन के गिरते हुए भावों को लेकर राजधानी भोपाल में आला अधिकारियों के बीच बैठकों का दौर चल रहा है। आज से विधानसभा का मानसून सत्र भी प्रारम्भ हो चुका है, हो सकता है इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों के पक्ष में कोई बड़ा फैसला लें। जिससे किसानों को लहसुन की खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि प्रदेश में किसानों के मित्र के रूप में है, ऐसे में वो किसानों को लेकर मॉनसून सत्र में कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री अक्सर किसानों के हित की बात करते हैं और किसानों के उत्थान के लिए उन्होंने अभी तक कई योजनाएं चलाई हैं, जिनसे किसानों को फायदा भी हुआ है। इन योजनाओं की सहायता से किसानों का उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है।